मेरे बारे में...

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सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, India
वो आदमी है आम सा, इक क़िस्सा ना तमाम सा। ना लहजा बेमिसाल है, ना बात में कमाल है। है देखने में आम सा, उदासियों की शाम सा। कि जैसे एक राज़ है, खुद से बे-नियाज़ है। ना महजबीं से रब्त है, ना शोहरतों का खब्त है। वो रांझा, ना क़ैस है, इन्शा, ना फैज़ है। वो पैकरे इखलास है, वफा, दुआ और आस है। वो शख्स खुदशनास है, तुम ही करो अब फैसला। वो आदमी है आम सा...! या फिर बहुत ही खास है, वो आदमी 'रियाज़' है। .............................. मुझे रियाज़ कहते हैं। दैनिक जागरण, मेरठ में वेस्ट यूपी स्टेट डेस्क प्रभारी के रूप कार्यरत।

Wednesday, September 21, 2011

तुम्हें इक दिन कहा था जो...

वही इज़हार काफी था
तुम्हें इक दिन कहा था जो
कि तुमसे प्यार करते हैं
वो लम्हा भूल क्यों बैठे
वो जुमला भूल क्यों बैठे
अभी शहादत मांगोगे
मेरी बेलौस चाहत की
तुम्हें इक बार फिर से वो
मुहब्बत ना मिले शायद
ये जो तुम भूल बैठे हो
तुम्हारी कम निगाही है
तुम्हें गर प्यार करना था
हमारे साथ चलना था
वो इक इज़हार सुन लेते
वही इज़हार काफी था
तुम्हें इक दिन कहा था जो
कि तुमसे प्यार करते हैं

Tuesday, September 20, 2011

मेरे हमसफर

मेरे हमसफर मेरे हमनशीं।
मैंने रब से मांगा तो कुछ नहीं।
मैंने जब भी मांगी कोई दुआ।
नहीं मांगा कुछ भी तेरे सिवा।
ये तलब क्या के मेरे खुदा।
सभी राहतें, सभी चाहतें।
वो अता करे तुझे मंज़िलें।
ये तलब क्या के मेरे ख़ुदा।
तुझे बख्त दे, तुझे ताज दे।
तुझे तख़्त दे। तुझे राज दे।
मेरे हमसफर, मेरे चारागर।
ये है दोस्ती का कठिन सफर।
मेरे साथ चलना ज़रा सोचकर।
ज़रा देख तो मेरा हौसला।
मेरे पास जो भी वो है तेरा।
नहीं और कुछ भी तेरे सिवा।
मेरी दोस्ती, मेरी ज़िंदगी।
मेरी खामोशी, मेरी बेबसी।
मेरा इल्म भी, मेरा नाम भी।
मेरी सुबह भी, मेरी शाम भी।
कि जो मिल सकें मेरे दाम भी।
वो सभी कुछ तुझे अता करे।
मेरे चारागर तू यकीन कर।
मुझे मांगना तो ना आ सका।
मैंने फिर भी मांगी यही दुआ।
कि गवाही देगा मेरा खुदा।
मैंने जब भी उससे तलब किया।
नहीं मांगा कुछ भी 'तेरे सिवा'।

व्यथा-कथा

कहां उसकी हालत में कुछ सुधार है/ Kaha'n uski haalat mai kuchh sudhaar hai
क्योंकि वो अभी भी सख़्त बीमार है/ Kyunki wo abhi bhi sakht bimaar hai
उसके दिल में एक टीस है/ uske dil me ek tees hai
डाक्टर की सौ रुपये फीस है/ doctor ki sau rupai fees hai
सौ रुपये कहां से लायेगा/ sau rupai kaha'n se layega
अब वो बीस रुपये वाले ड़ाक्टर को दिखायेगा/ ab wo bees wale doctor ko dikhayega
बीस वाला डाक्टर बीस जैसी ही दवा देगा/ bees wala doctor bees jaisi hi dawa dega
हां, दवाई ठीक दे या ना दे/ ha'n dawai theek de ya na de
ठीक होने का दिलासा ज़रूर देगा/ theek hone ka dilasa zaroor dega,
उसकी बीवी को मदद की दरकार है/ uski biwi ko madad ki darkaar hai
उसके बच्चे भूखे हैं/ uske bachche bhookhe hai'n
पति बीमार है/ pati bimaar hai
वो ग़रीबी में मजबूर है/ wo gharibi me majboor hai
इसलिए बग़ल वाला बड़ा हास्पिटल भी दूर है/ isliye bagal wala bada hasptaal bhi door hai
तन बेचा फीस तो मिल गई/ tann becha fees tou mil gayi
मगर दवाई ना ले सकी/ magar dawai na le saki
डाक्टर को बोली मैं ग़रीब हूं/ doctor ko boli mai'n gharib hu'n
दवा के पैसे नहीं हैं/ dawa k paise nahi hai'n
उसने कहा............./ usne kaha........ ....
उसने कुछ भी नहीं कहा/ usne kuchh bhi nahi kaha
डाक्टर क्या कहता/ doctor kya kehta
अपने देश में 90 परसेंट लोग भूखे नंगे हैं/ apne desh me 90% log bhookhe nange hai'n
किस किस से कहेगा/ kis kis se kahega
इसलिए चुप ही रहेगा/ isliye chup hi rahega
देश सैलानियों के वास्ते/ desh selaaniyo k vaaste
एक सस्ता मेडिकल हब बनके उभर रहा है/ ek sasta medical hub ban k ubhar raha hai
मगर देश का 90 परसेंट से भी ज्यादा तबक़ा/ magar desh ka 90% se bhi zyada tabka
बिना इलाज के मर रहा है/ bina ilaaj k mar raha hai .

वो हसीन लगती है....

ब्लीच, फेशियल और थ्रेडिंग की कलाकारी के बाद
वो हसीन लगती है लेकिन कितनी तैयारी के बाद
मुद्दतों के बाद उनको देखकर ऐसा लगा
जैसे रोज़ेदार की हालत हो अफ्तारी के बाद
बांधकर सेहरा नज़र आए हैं यूं छुट्टन मियां
जिस तरह मुजरिम दिखाई दे गिरफ्तारी के बाद