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सहारनपुर, उत्तर प्रदेश, India
वो आदमी है आम सा, इक क़िस्सा ना तमाम सा। ना लहजा बेमिसाल है, ना बात में कमाल है। है देखने में आम सा, उदासियों की शाम सा। कि जैसे एक राज़ है, खुद से बे-नियाज़ है। ना महजबीं से रब्त है, ना शोहरतों का खब्त है। वो रांझा, ना क़ैस है, इन्शा, ना फैज़ है। वो पैकरे इखलास है, वफा, दुआ और आस है। वो शख्स खुदशनास है, तुम ही करो अब फैसला। वो आदमी है आम सा...! या फिर बहुत ही खास है, वो आदमी 'रियाज़' है। .............................. मुझे रियाज़ कहते हैं। दैनिक जागरण, मेरठ में वेस्ट यूपी स्टेट डेस्क प्रभारी के रूप कार्यरत।

Tuesday, September 20, 2011

वो हसीन लगती है....

ब्लीच, फेशियल और थ्रेडिंग की कलाकारी के बाद
वो हसीन लगती है लेकिन कितनी तैयारी के बाद
मुद्दतों के बाद उनको देखकर ऐसा लगा
जैसे रोज़ेदार की हालत हो अफ्तारी के बाद
बांधकर सेहरा नज़र आए हैं यूं छुट्टन मियां
जिस तरह मुजरिम दिखाई दे गिरफ्तारी के बाद

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